Kabir Das, a mystical poet and great Saint of India, was born in the year 1440 and died in the year 1518. The name Kabir comes from Arabic Al-Kabīr which means 'The Great' – the 37th name of God in Islam. Kabir Panth is the huge religious community which identifies the Kabir as the originator of the Sant Mat sects. The members of Kabir Panth are known as the Kabir panthis who had extended all over the over north and central India. Some of the great writings of the Kabir Das are Bijak, Kabir Granthawali, Anurag Sagar, Sakhi Granth etc.
मोको कहां ढूढे रे बन्दे -कबीर दास
मोको कहां ढूढे रे बन्दे
मैं तो तेरे पास में
मैं तो तेरे पास में
ना तीर्थ मे ना मूर्त में
ना एकान्त निवास में
ना मंदिर में ना मस्जिद में
ना काबे कैलास में
ना एकान्त निवास में
ना मंदिर में ना मस्जिद में
ना काबे कैलास में
मैं तो तेरे पास में बन्दे
मैं तो तेरे पास में
मैं तो तेरे पास में
ना मैं जप में ना मैं तप में
ना मैं बरत उपास में
ना मैं किर्या कर्म में रहता
नहिं जोग सन्यास में
नहिं प्राण में नहिं पिंड में
ना ब्रह्याण्ड आकाश में
ना मैं प्रकति प्रवार गुफा में
नहिं स्वांसों की स्वांस में
ना मैं बरत उपास में
ना मैं किर्या कर्म में रहता
नहिं जोग सन्यास में
नहिं प्राण में नहिं पिंड में
ना ब्रह्याण्ड आकाश में
ना मैं प्रकति प्रवार गुफा में
नहिं स्वांसों की स्वांस में
खोजि होए तुरत मिल जाउं
इक पल की तालाश में
कहत कबीर सुनो भई साधो
मैं तो हूँ विश्वास में
इक पल की तालाश में
कहत कबीर सुनो भई साधो
मैं तो हूँ विश्वास में
Translation by Rabindranath Tagore
O servant, where dost thou seek Me?
Lo! I am beside thee.
Lo! I am beside thee.
I am neither in temple nor in mosque:
I am neither in Kaaba nor in Kailash:
I am neither in Kaaba nor in Kailash:
Neither am I in rites and ceremonies,
nor in Yoga and renunciation.
nor in Yoga and renunciation.
If thou art a true seeker,
thou shalt at once see Me:
thou shalt meet Me in a moment of time.
thou shalt at once see Me:
thou shalt meet Me in a moment of time.
Kabîr says, "O Sadhu! God is the breath of all breath."
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