हर पल हर दिन कुछ नया...
अनोखा कर दिखने को
कुछ कदम आगे बढ़ने को
कुछ गीत गुनगुनाने को
कुछ खुशियां बांटने को
कुछ हरि-ध्यान लगाने को
अपने आप सजाने को
अपनी तकदीर बनाने को
- विनीत 'रामानंद'
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